हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटों के लिए चुनाव प्रचार गुरुवार शाम को थम गया। राज्य में 25 मई को वोट डाले जाएंगे। यहां मुकाबला BJP और कांग्रेस के बीच है। 2019 में सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार भी क्लीन स्वीप का दावा कर रही है। हालांकि ऐसा ह
पॉलिटिकल कॉलमनिस्ट डॉ. रामजी लाल और ‘रोल ऑफ पॉलिटिक्स इन सोशल इश्यू’ पर काम करने वाले करनाल की आकृति संस्था के अध्यक्ष अनुज सैनी कहते हैं कि हरियाणा में पिछले 15-20 बरसों में पहली बार ऐसी सत्ताविरोधी लहर दिख रही है। इसके बावजूद सत्ताधारी दल विपक्ष पर भारी नजर आता है।
ओवरऑल माहौल, प्रचार, कैंडिडेट्स, इलेक्शन मैनेजमेंट और जातीय समीकरणों की असेसमेंट की जाए तो वोटिंग से 48 घंटे पहले तक राज्य में भाजपा 7 और कांग्रेस 2 से 3 सीटों पर आगे नजर आती है। यदि रूरल बेल्ट में जाटों-किसानों की नाराजगी एक लेवल से आगे बढ़ी तो चौंकाने वाले रिजल्ट भी संभव है। वहीं अगर BJP के रणनीतिकार आखिरी 48 घंटे में माहौल संभालने में कामयाब हो गए तो पार्टी के लिए नतीजे और अच्छे रह सकते हैं।
16 मार्च को लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ शुरू हुआ शोर-शराबा तकरीबन सवा 2 महीने चला। इस दौरान हरियाणा के चुनावी परिदृश्य में एक के बाद एक, कई बदलाव देखने को मिले। भाजपा राज्य की सभी 10 और कांग्रेस 9 सीटों पर लड़ रही है। कांग्रेस ने कुरुक्षेत्र सीट I.N.D.I.A. अलायंस में शामिल आम आदमी पार्टी (AAP) को दी है।
BJP को 58.02% वोट मिले, कांग्रेस के लिए 17% का वोट स्विंग मुश्किल टास्क
युवाओं को पॉलिटिकल रूप से अवेयर करने के लिए यूथ फॉर चेंज नामक संस्था चलाने वाले राजनीतिक समीक्षक डॉ. वीरेंद्र भारत कहते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा में BJP को कुल 58.02% वोट मिले और उसने सारी सीटें जीती। 23.32% के अतिरिक्त वोट स्विंग के साथ पार्टी को राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 79 पर लीड मिली।
इसके मुकाबले कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में 28.42% वोट मिले। उसके पक्ष में भी 5.52% का एक्स्ट्रा वोट स्विंग देखने को मिला, लेकिन पार्टी 90 में से सिर्फ 10 विधानसभा सीटों पर लीड ले पाई। एक विधानसभा सीट पर JJP आगे रही।
पहली बार चुनाव लड़ने वाली जननायक जनता पार्टी (JJP) को 4.9% और BSP को 3.65% वोट मिले। सबसे ज्यादा नुकसान इनेलो को हुआ। उसे सिर्फ 1.9% वोट मिले और 2014 के मुकाबले उसके 22.51% वोट खिसक गए।
डॉ. भारत के मुताबिक, इस बार बेशक ग्राउंड पर BJP का विरोध है, लेकिन उसे हराने के लिए कांग्रेस को 45% से अधिक वोट लेने होंगे। बाइपोलर फाइट में 17% का वोट स्विंग असंभव तो नहीं लेकिन मुश्किल टास्क जरूर है। इनेलो, JJP और BSP का प्रदर्शन कमजोर हुआ और उनके वोट भी कांग्रेस-BJP में बंटे तो मुकाबला और कड़ा हो जाएगा।
लोकसभा उम्मीदवारों पर निकल रहा राज्य सरकार का गुस्सा
हरियाणा की राजनीति पर नियमित रूप से कॉलम लिखने वाले डॉ. रामजी लाल कहते हैं कि हरियाणा के लोगों में PM नरेंद्र मोदी की जगह हरियाणा सरकार के वर्किंग स्टाइल को लेकर ज्यादा नाराजगी है। यह बात BJP हाईकमान ने भी भांप ली थी, इसलिए उसने राज्य इकाई की इच्छा के बावजूद लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव कराने का रिस्क नहीं लिया।
इसके बावजूद लोकसभा उम्मीदवारों को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। अगर लोकसभा के चुनाव नतीजे BJP नेतृत्व की उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहे तो उसकी ज्यादा जिम्मेदार हरियाणा सरकार होगी।
CM चेहरा बदलने से विपक्ष को हमलावर होने का मौका मिला
रोल ऑफ पॉलिटिक्स इन सोशल इश्यू पर काम करने वाले करनाल की आकृति संस्था के अध्यक्ष अनुज सैनी का मानना है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले, CM चेहरा बदलने से भी विपक्ष को आक्रामक होने का मौका मिल गया।
ग्रामीण इलाकों में इस बार BJP नेताओं और उम्मीदवारों से जिस तरह सवाल पूछे गए, वैसा पहले नहीं देखा गया। इसी वजह से कैंडिडेट्स गांवों में ज्यादा प्रचार तक नहीं कर पाए। प्रदेश में 6 महीने बाद विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है और जनता वहां बदलाव के मूड में नजर आ रही है। लोकसभा उम्मीदवारों के ज्यादा विरोध की एक वजह यह भी है।
सत्ता विरोधी लहर में BJP को मोदी फैक्टर का सहारा
राजनीतिक समीक्षक डॉ. वीरेंद्र भारत कहते हैं कि जमीन पर घूमने के बाद एक बात तो साफ है कि BJP के प्रति सत्ता विरोधी लहर है। ऐसे में उसके बड़े नेता भी मोदी फैक्टर के सहारे हैं। जमीनी हालात को समझते हुए मनोहर लाल खट्टर और राव इंद्रजीत तक खुद को बैकफुट पर रखते हुए मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं।
अब चूंकि मतदाताओं के पास विकल्प नहीं है, इसलिए तमाम गुस्से के बावजूद वह BJP के पक्ष में वोट दे सकते हैं। कुछ इसी तरह की उम्मीद BJP के रणनीतिकार कर रहे हैं और ऐसा हुआ तो मई में तपते माहौल में सियासी हवा का रुख भगवा पार्टी की तरफ मुड़ सकता है।
BJP के सामने गर्मी और वीकएंड में शहरी वोटर को बूथ तक ले जाने की चुनौती
रेवाड़ी के वरिष्ठ पत्रकार तरूण जैन कहते हैं कि हरियाणा में इस बार गर्मी के सारे रिकॉर्ड टूटते दिख रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार, 22 मई को ही सिरसा जिला पूरे देश में सबसे गर्म रहा। वहां अधिकतम तापमान 47.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। राज्य में 25 मई को वोटिंग है और उसी दिन से नौतपा शुरू हो रहा है।
BJP की उम्मीदें शहरी मतदाताओं पर टिकी है। हालांकि, इतनी गर्मी में शहरी वोटर घर से निकलकर पोलिंग बूथ तक जाएगा, इसमें संदेह है। 25 मई को शनिवार भी है। 2 दिन के वीकएंड का असर शहरी इलाकों में वोटिंग पर दिख सकता है।
चुनाव की घोषणा से पहले उम्मीदवार उतारने से BJP को बढ़त
डॉ. भारत के अनुसार, हरियाणा में BJP ने सबसे पहले अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया। उसने 6 कैंडिडेट्स का ऐलान चुनाव तारीखों की घोषणा से भी 3 दिन पहले, 13 मार्च को ही कर दिया। मनोहर लाल खट्टर, राव इंद्रजीत, कृष्णपाल गुर्जर, चौधरी धर्मबीर, बंतो कटारिया और अशोक तंवर जैसे चेहरों को टिकट मिलने से माहौल भाजपा के पक्ष में बनता नजर आया।
पार्टी ने बचे हुए 4 प्रत्याशियों के नाम 24 मार्च को घोषित कर दिए। उसने नवीन जिंदल और रणजीत चौटाला को टिकट देकर फिर चौंका दिया। ग्राउंड पर एक्टिविटी बढ़ने से BJP को हाइप मिलने लगी।
कांग्रेस को टिकटों में देरी का माइलेज मिला
हिसार के वरिष्ठ पत्रकार कुमार मुकेश के मुताबिक, कांग्रेस के उम्मीदवारों का इंतजार काफी लंबा चला और इसका कारण था- नेताओं की आपसी गुटबाजी। सभी खेमों को साधने के लिए हाईकमान को सब-कमेटी बनानी पड़ी। अंतत: कांग्रेस के 8 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट 26 अप्रैल को आई यानि BJP उम्मीदवारों की घोषणा के डेढ़ महीने बाद। गुरुग्राम से राज बब्बर का टिकट 30 अप्रैल को फाइनल हो पाया।
कुमार मुकेश के अनुसार, टिकट लेट देने का कांग्रेस को एक तरह से फायदा हुआ। हर तरफ संभावित उम्मीदवारों की चर्चा चलती रही और नित नए नाम सामने आते रहे। इससे पार्टी को माइलेज मिला। टिकट आवंटन में ज्यादातर सीटों पर मजबूत चेहरों को मौका मिलने से कांग्रेस न केवल मुकाबले में खड़ी हो गई बल्कि एक-आध सीट पर शुरुआती ऐज लेती भी नजर आई।
10 साल बाद माकूल माहौल लेकिन गुटबाजी भारी पड़ेगी
फरीदाबाद के सीनियर जर्नलिस्ट राकेश चौरसिया कहते हैं कि अगर कांग्रेस की अपनी कमियां आड़े न आईं तो पार्टी पिछले 2 आम चुनाव के मुकाबले इस बार अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। अगर, ऐसा नहीं हुआ तो एक बार फिर साबित हो जाएगा कि किसी दूसरे दल के मुकाबले कांग्रेस को कांग्रेसी नेता ही हरवाते हैं।
पिछले 4 लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2004 में कांग्रेस ने 10 में से 9 सीटें जीती थी। 2009 में उसे 7 सीटें मिली लेकिन 2014 में यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 1 सीट का रह गया। 2019 में पार्टी ने रोहतक की इकलौती सीट भी गंवा दी।
कांग्रेस में हुड्डा परिवार की वजह से रोहतक और BJP में पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के कारण करनाल सीट पर सबकी नजरें टिकी हैं।
रोहतक : पिछली बार ओवर कॉन्फिडेंस से हारा हुड्डा परिवार इस बार ज्यादा अलर्ट
हुड्डा परिवार के गढ़, रोहतक को जीतने के लिए BJP ने 2019 में गैरजाट कार्ड खेलते हुए ब्राह्मण समुदाय से आने वाले डॉ. अरविंद शर्मा को उतारा था जो सफल रहा। इस बार भी यहां कांग्रेस से दीपेंद्र हुड्डा और भाजपा से डॉ. अरविंद शर्मा आमने-सामने हैं। यानि मुकाबला फिर जाट-गैर जाट में है।
पिछली बार दीपेंद्र हुड्डा की हार में सबसे बड़ा रोल कोसली इलाके का रहा था। वहां से BJP के डॉ. अरविंद शर्मा को 75 हजार की लीड मिली और दीपेंद्र उसे आखिर तक कवर नहीं कर पाए। इस बार भी कोसली में भाजपा लीड लेती नजर आती है। 2019 में हुड्डा परिवार की हार के लिए उनका ओवरकॉन्फिडेंस भी कहीं न कहीं जिम्मेदार रहा। हालांकि इस दफा दीपेंद्र ज्यादा अलर्ट नजर आ रहे हैं और एक-एक वर्ग तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।
रोहतक के धर्मेंद्र सिंह अपने यहां एकतरफा माहौल दीपेंद्र हुड्डा के पक्ष में बताते हैं लेकिन रोहतक संसदीय हलके में शामिल कोसली एरिया के रिटायर्ड टीचर बीरेंद्र सिंह कहते हैं कि यहां BJP और मोदी की हवा है।
करनाल : BJP मजबूत मगर 2019 का विनिंग मार्जिन बरकरार रखना मुश्किल
दूसरी ओर अगर करनाल लोकसभा सीट की बात करें तो भाजपा यहां पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर को टिकट देकर सबको चौंका चुकी है। पिछली बार भाजपा सांसदों के विनिंग मार्जिन के लिहाज से करनाल सीट देश में दूसरे नंबर पर रही थी। BJP ने यहां 6 लाख वोटों से ज्यादा से जीत दर्ज की थी। भाजपा ने यहां पूरी ताकत झोंक रखी है।
दूसरी तरफ मनोहर लाल के सामने कांग्रेस ने युवा चेहरे दिव्यांशु बुद्धिराजा को टिकट दिया है। दिव्यांशु का यह पहला ही चुनाव है और उन्हें नेताओं की गुटबाजी से जूझना पड़ रहा है। करनाल संसदीय हलके में आने वाले चिड़ावा गांव की कृष्णा देवी कहती हैं कि मोदी के राज में उनके परिवार को राशन-पानी मिल रहा है। मोदी ने उनके लिए बहुत कुछ किया है इसलिए वह भाजपा को ही वोट देंगी।
पानीपत के 100 साल पुराने इंसार बाजार में बर्तनों की दुकान चलाने वाले प्रेम कुमार इस मार्केट के प्रधान भी रह चुके हैं। प्रेम कुमार ने कहा कि वह इस बार भी मोदी को ही वोट देंगे। हालांकि यूथ बेरोजगारी की वजह से भाजपा से नाराज है। करनाल में प्राइवेट बैंक में काम करने वाले नितिन कहते हैं कि भाजपा राज में नौकरियां नहीं मिलीं। किसान आंदोलन के दौरान बसताड़ा टोल प्लाजा पर पुलिस के लाठीचार्ज से नाराज किसान यहां भाजपा से खफा दिखता है।
कुल मिलाकर करनाल सीट पर BJP को बढ़त तो है लेकिन मनोहर लाल खट्टर का पिछली बार के विनिंग मार्जिन तक पहुंचना मुश्किल दिखता है।
भाजपा के लिए पॉजिटिव पहलू: जीटी रोड-अहीरवाल बेल्ट में मजबूत
भाजपा के सामने चुनौतियां: एंटी इनकंबेंसी और जाटों-किसानों की नाराजगी
कांग्रेस के लिए पॉजिटिव पहलू: BJP सरकार से नाराजगी सबसे बड़ी ताकत
कांग्रेस के सामने चुनौतियां: गुटबाजी से नुकसान
दोनों रीजनल पार्टियां रहेंगी खाली हाथ…
प्रदेश के पूर्व CM ओमप्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने कुछ सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं लेकिन उनमें से कोई मुख्य मुकाबले में नहीं है। इनेलो के इकलौते विधायक, अभय चौटाला अपनी पार्टी का इलेक्शन सिंबल-चश्मा- बचाने के लिए खुद कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से मैदान में उतरे हैं।
कांग्रेस ने कुरुक्षेत्र सीट I.N.D.I.A. में अपनी सहयोगी आम आदमी पार्टी (AAP) को दी है। अभय यहां चुनाव लड़ रहे AAP के प्रदेशाध्यक्ष सुशील गुप्ता को मिलने वाले वोटों में सेंध लगा रहे हैं। इससे BJP के नवीन जिंदल की राह कुछ आसान नजर आ रही है।
ओमप्रकाश चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) में जबरदस्त भगदड़ मची है। पार्टी बिखराव के दौर में है। दुष्यंत के ज्यादातर MLA अपने उम्मीदवारों की जगह BJP और कांग्रेस कैंडिडेट्स के प्रचार में लगे हैं।
दुष्यंत की मां नैना चौटाला को हिसार में तीसरे स्थान पर रहने के लिए अपनी ही देवरानी और इनेलो उम्मीदवार सुनैना चौटाला से चुनौती मिल रही है। अगर JJP उम्मीदवार इस चुनाव में जमानत बचाने में भी कामयाब हो गए तो यह पार्टी के लिए उपलब्धि जैसा होगा। हालांकि इसकी संभावना न के बराबर है।
फरीदाबाद के बिजनेसमैन वीरपाल बघेल कहते हैं कि उन्हें मोदी पसंद है। भाजपा सरकार बिजनेस के मामले में बढ़िया है। हालांकि फरीदाबाद NIT में ही फर्नीचर का कारोबार करने वाले रमेश छाबड़ा इससे सहमत नहीं है। उनके मुताबिक बीजेपी के राज में भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया। पिछली बार उन्होंने बीजेपी को वोट दिया, लेकिन इस बार नहीं देंगे।
गुरुग्राम संसदीय हलके में शामिल नूंह के घासेड़ा गांव के वकील खान कहते हैं कि उनके इलाके के लोग कांग्रेस को वोट देंगे। पहले भी पूरा मेवात कांग्रेस को ही वोट देता रहा है।
रेवाड़ी भी गुरुग्राम सीट में आता है। यहां के संदीप सैनी का दावा है कि नरेंद्र मोदी की वजह से ही राम मंदिर का निर्माण और जम्मू कश्मीर से धारा-370 हट पाई है। रेवाड़ी के ही भारत कुमार तो खुलकर नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने का दावा करते हैं।
अंबाला-कुरुक्षेत्र का इलाका किसान आंदोलन से सबसे ज्यादा प्रभावित है। अंबाला के ज्वैलर आशीष जैन ने कहा कि 3 महीने से बंद पड़ा शंभू बॉर्डर खुलना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से कामकाज पर असर पड़ रहा है। सरकार को किसानों के लिए कुछ करना चाहिए।
भिवानी में सामाजिक संस्था से जुड़े मोनू पंघाल कहते हैं कि उनके यहां राव दान सिंह को कांग्रेस का कैंडिडेट मिलने से मुकाबला कड़ा हो गया है।
दरअसल भिवानी-महेंद्रगढ़ में कांग्रेसी कैंडिडेट दानसिंह की जीत-हार इस बात पर निर्भर करेगी कि भिवानी में बंसीलाल की राजनीतिक विरासत संभाल रही उनकी पुत्रवधु किरण चौधरी उनका कितना साथ देती हैं? बेटी श्रुति का टिकट कटने से नाराज किरण चौधरी कई दिनों से दानसिंह और भूपेंद्र हुड्डा पर खासी हमलावर है। यहां भिवानी में भाजपा और महेंद्रगढ़ एरिया में कांग्रेस आगे दिख रही है।
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