समारोह में अचानक मलयालम बोलने लगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जानिए- ऐसी नौबत आई क्यों?

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राजनाथ सिंह ने समारोह में भारत के आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास के लिए केरलवासियों के योगदान की सराहना की।सिंह ने कहा, 2 मलयाली लोगों ने भारत को धार्मिक व राजनीतिक रूप से एकजुट होने में मदद की

समारोह में अचानक मलयालम बोलने लगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जानिए- ऐसी नौबत आई क्यों?

केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी केरल में एक राजनीतिक ताकत बनने के लिए लंबे समय से अथक प्रयास कर रही है। इस बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मलयाली लोगों को लुभाने की कोशिश में कुछ ऐसा किया कि लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं। दरअसल, रविवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अखिल भारतीय मलयाली एसोसिएशन द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें राजनाथ सिंह बतौर अतिथि शरीक कर रहे थे।

इंडियन एक्सप्रेस के कॉलम ‘दिल्ली कॉन्फिडेंशियल’ की रिपोर्ट के मुताबिक, राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन की शुरुआत में मलयाली अप्रवासियों का मलयालम में गर्मजोशी से अभिवादन किया। यह देखकर वहां लोग खुशी से झूम उठे। मलयालम में रक्षा मंत्री के अभिवादन और शुभकामनाओं ने बैठक में मौजूद मलयाली समुदाय का दिल जीत लिया।

राजनाथ सिंह ने समारोह में वैश्विक समुदाय के बीच भारत के आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास के लिए केरलवासियों के योगदान की सराहना की। सिंह ने कहा, दो मलयाली लोगों ने भारत को धार्मिक और राजनीतिक रूप से एकजुट होने में मदद की। बतौर राजनाथ सिंह, “आदि शंकराचार्य जी ने भारत को धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से एकजुट किया, जबकि वीपी मेनन ने सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ काम किया और देश को राजनीतिक रूप से एकीकृत किया, जिसके लिए वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियां हमेशा उनका ऋणी रहेंगी।”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि भारत विश्व के समक्ष आज एक राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति के रूप में खड़ा है। उन्होंने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को साकार करने के लिए सभी लोगों की ओर से सहयोगात्मक प्रयास का आह्वान किया। उनके कार्यालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में सिंह के हवाले से कहा गया, ”भारत आज दुनिया के सामने एक आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक शक्ति के रूप में खड़ा है और केरल ने इस उपलब्धि को हासिल करने में बड़ी भूमिका निभाई है।”

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में भारत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लिहाज से अब दुनिया की पांचवें नंबर की अर्थव्यवस्था है। विशेषज्ञों और संस्थानों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। राजनाथ सिंह ने उम्मीद जताई कि आजादी के 100 साल पूरे होने यानी वर्ष 2047 तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति को आज पूरी दुनिया में मान्यता और स्वीकृति मिल रही है। उन्होंने कहा कि भारत का सम्मान वैश्विक स्तर पर इसकी विशाल सांस्कृतिक विरासत और संविधान प्रदत्त राजनीतिक एकता के कारण बढ़ा है। उन्होंने कहा कि इस सांस्कृतिक विरासत और राजनीतिक एकता को केरल से आने वाले दो महान व्यक्तित्वों द्वारा संभव बनाया गया था- आठवीं शताब्दी के प्रसिद्ध विद्वान और दार्शनिक आदि शंकराचार्य और शीर्ष नौकरशाह वीपी मेनन। उन्होंने कहा कि मेनन ने स्वतंत्रता के बाद भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के अधीन कार्य किया और देश के विकास में अहम भूमिका निभाई।

बयान में राजनाथ के हवाले से कहा गया, ”राज्य में ईसाई धर्म और इस्लाम का भी उदय हुआ। ऐसा कहा जाता है कि ईसा मसीह के 12 प्रमुख शिष्यों में से एक ‘सेंट थॉमस’ भारत आए और केरल में सात चर्च बनाए। पहली मस्जिद ‘चेरामन जुमा’ त्रिशूर में बनाई गई थी। यही कारण है कि इसे (केरल को) ‘ईश्वर का अपना देश’ की उपाधि दी जाती है।”

उन्होंने केरल की स्वतंत्रता सेनानी अक्कम्मा चेरियन का जिक्र किया जिन्हें ‘केरल की झांसी की रानी’ कहा जाता है। सिंह ने वर्ष 2018 में केरल में बाढ़ के दौरान गैर सरकारी संगठनों विशेषकर एआईएमए द्वारा निभाई गई सक्रिय भूमिका का विशेष उल्लेख किया और उनके काम को असाधारण बताया। (भाषा इनपुट के साथ)

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