राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। 4 जून को जब लोकसभा चुनाव की मतगणना होगी, तब मध्य प्रदेश में जीत के अंतर का कीर्तिमान भी बनेगा। भाजपा नेता दावा कर रहे हैं कि जीत के अंतर का कीर्तिमान मप्र में फिर बनने की प्रबल संभावना है। देश में पिछले चुनाव में जो दस बड़े मतों के अंतर से जीत हुई थी, उसमें प्रदेश का होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र भी शामिल था।
इस बार संभावना जताई जा रही है कि इस चुनाव में भी मध्य प्रदेश से कुछ सीटों पर विजय बड़े मतों के अंतर से होगी। इसमें इंदौर लोकसभा क्षेत्र शामिल हो सकता है। यहां कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने अपना नाम वापस ले लिया था। प्रदेश में 2019 का लोकसभा चुनाव देखें तो तीन सीटों पर भाजपा पांच लाख और चार सीटें चार लाख से अधिक मतों के अंतर से जीती थी। सर्वाधिक 5,53,682 मतों के अंतर से होशंगाबाद से भाजपा के उदय प्रताप सिंह ने कांग्रेस के शैलेंद्र दीवान को पराजित किया था।
5,47,754 मतों से जीते थे शंकर लालवानी
इंदौर लोकसभा सीट से शंकर लालवानी ने 5,47,754 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि पार्टी की प्रचंड जीत होगी। जीत के अंतर सहित कई कीर्तिमान बनेंगे। इसका आधार मोदी के पक्ष में देशभर में बना वातावरण, मैदानी स्तर पर कार्यकर्ताओं की सक्रियता, बूथ प्रबंधन और कांग्रेस से कोई उम्मीद का न होना है।
कांग्रेस ने प्रदेश की 29 में से 27 सीटों पर चुनाव लड़ा। इंदौर लोकसभा सीट के लिए पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने तो नामांकन वापसी के अंतिम दिन अपना नाम वापस ले लिया। वहीं, खजुराहो सीट आइएनडीआइए गठबंधन के सहयोगी समाजवादी पार्टी के लिए छोड़ दी थी।
यहां सपा प्रत्याशी का नामांकन भी निरस्त हो गया था। यहां से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने चुनाव लड़ा है। वहीं, विदिशा से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव लड़ा और कार्यकर्ता इस प्रयास में जुटे रहे कि अधिक से अधिक मतों के अंतर से जीत हो।
रमाकांत भार्गव भी बड़े अंतर से जीते थे
पिछले चुनाव में भी विदिशा से भाजपा के रमाकांत भार्गव 5,03,084 मतों के अंतर से जीते थे। उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी कह चुके हैं कि चुनाव परिणाम जब सामने आएंगे, तब सब आश्चर्य में पड़ जाएंगे। केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार ने जनता के साथ जो वादाखिलाफी की है, उसे सब जानते हैं। भाजपा सरकार के सभी तरह के दबाव, प्रलोभन के बाद भी कार्यकर्ताओं ने पूरी मेहनत के साथ चुनाव लड़ा है।