Lok Sabha Election 2024: फुटपाथ पर सजता है बाजार, चल रहे वर्कशाप और अवैध फड़-रेहड़ी, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पण.. – दैनिक जागरण (Dainik Jagran)

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Lok Sabha Election 2024 अप्रैल-2022 में सुप्रीम कोर्ट ने शहरों में फुटपाथ पर होने वाले अतिक्रमण को लेकर टिप्पणी की थी। कोर्ट का कहना था कि फेरीवालों को मनमर्जी की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने सरकारों को निर्देश दिए थे कि जहां भी फुटपाथ पर अतिक्रमण पाया जाता है वहां संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए फुटपाथ खाली कराए जाएं।
अंकुर अग्रवाल, देहरादून: Lok Sabha Election 2024:  किसी भी शहर में फुटपाथ पर पहला अधिकार पैदल चलने वालों का होता है, लेकिन कुछ लोग फुटपाथ पर अतिक्रमण कर फेरी, फड़-ठेली लगा लेते हैं, जबकि कुछ लोग घरों के बाहर बागीचे का विस्तार अथवा सुरक्षा गार्ड का केबिन तक बना देते हैं। यह सार्वजनिक स्थान का अतिक्रमण है।

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अप्रैल-2022 में सुप्रीम कोर्ट ने शहरों में फुटपाथ पर होने वाले अतिक्रमण को लेकर यह टिप्पणी की थी। कोर्ट का कहना था कि फेरीवालों को मनमर्जी की अनुमति नहीं दी जा सकती। हाकिंग नीति के अनुसार ही फेरी लगाई जानी चाहिए। यह लोग घूम-घूमकर ही सामान बेच सकते हैं।

कोर्ट ने सरकारों को निर्देश दिए थे कि जहां भी फुटपाथ पर अतिक्रमण पाया जाता है, वहां संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए फुटपाथ खाली कराए जाएं। अगर कोई मकान या दुकान मालिक अतिक्रमण हटाने के बाद फिर से फुटपाथ पर कब्जा कर लेता है तो उनके आवास-दुकान पर पानी, बिजली व सीवेज जैसी सेवाओं को बंद करने के लिए नियम बनाए जाने चाहिएं।
शीर्ष अदालत की इस टिप्पणी के बाद भी दून शहर में हालात नहीं सुधरे। हां, कभी-कभार प्रशासनिक मशीनरी फुटपाथ या सड़क पर से अतिक्रमण हटाने जरूर निकल पड़ती है, लेकिन केवल अस्थायी तौर पर। शहर को अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए कभी भी ठोस कदम नहीं उठाए गए। सरकारी मशीनरी दावा करती रहती है कि राजधानी में फुटपाथ हैं और सड़क साफ है, लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है।
यहां फुटपाथ तो दूर, सड़क भी नजर नहीं आती। लोगों को पैदल चलने लायक जगह भी नहीं मिल पा रही है। शहर में हर तरफ अतिक्रमण और अवैध कब्जों की भरमार है। फुटपाथ पर या तो दुकानदार का कब्जा है या फिर फड़, ठेली-रेहड़ी वालों का। कहीं तांत्रिक की दुकान सजी है तो कहीं फुटपाथ भिखारियों का अड्डा बने हुए हैं। कई जगह तो फुटपाथ पर गाड़ियां तक पार्क की जा रही हैं। इस कारण पूरा दिन शहर में यातायात व्यवस्था पटरी से उतरी रहती है।
अप्रैल 2014 में हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर फुटपाथ खाली कराने को बाकायदा कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की थी। सरकार ने उस समय कुछ जगह इच्छाशक्ति दिखाते हुए कार्रवाई भी की, लेकिन समय के साथ फुटपाथों पर फिर कब्जे हो गए। वर्ष 2017 में तत्कालीन शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने दून शहर को अतिक्रमण मुक्त करने की कसरत शुरू की, मगर यह कसरत अधिकारियों की हीलाहवाली की भेंट चढ़ गई। उनके ड्रीम प्रोजेक्ट आइएसबीटी से घंटाघर तक की माडल रोड के फुटपाथ आज फिर अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं।
मुख्य बाजार पलटन बाजार, धामावाला, मोती बाजार, डिस्पेंसरी रोड, चकराता रोड, राजपुर रोड, सहारनपुर रोड, प्रिंस चौक, आढ़त बाजार व गांधी रोड, कांवली रोड, झंडा बाजार आदि के हालात देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अतिक्रमण को अनदेखा करने में किस तरह सरकारी मशीनरी आगे है। बिकता है फुटपाथ, चल रहे वर्कशाप शहर के मुख्य बाजार में बने फुटपाथों का सौदा करने के आरोप व्यापारियों पर लगते रहे हैं। दुकान के बाहर फड़-रेहड़ी लगाने का बाकायदा पैसा वसूला जाता है। दुकानदार ही नहीं सरकारी मशीनरी पर भी वसूली के आरोप लगते रहे हैं। वहीं, शहर में कई जगह फुटपाथ पर वर्कशाप चल रहे हैं।
यूं तो वर्कशाप संचालित करने के लिए प्रशासन ने ट्रांसपोर्ट नगर में जगह दी हुई है, लेकिन बावजूद इसके पूरे शहर में फुटपाथ-सड़क पर खराब वाहनों की मरम्मत की जा रही है। राजपुर रोड हो या चकराता रोड, कलेक्ट्रेट के सामने, कचहरी के पीछे, सहारनपुर रोड, ईसी रोड समेत कनक चौक तक यही नजारा दिखाई देता है। खराब वाहनों के चलते दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है।
प्रिंस चौक, त्यागी रोड, दिलाराम बाजार, सहारनपुर रोड, गांधी रोड, हरिद्वार रोड, कांवली रोड के हालात भी किसी से छिपे नहीं हैं। सभी जगह धड़ल्ले से बीच सड़क में वाहन को खड़ा कर मरम्मत की जाती है। इनामुल्ला बिल्डिंग पर बुरा हाल शहर की सबसे व्यस्ततम सड़क गांधी रोड पर इनामुल्ला बिल्डिंग के पास आधी सड़क खराब वाहनों से घिरी रहती है। वर्ष 2018 में ही अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत यहां सड़क पर संचालित हो रही दुकानों को तोड़ा गया गया था, लेकिन हालात फिर से पहले जैसे हो गए।

6.5 किमी की माडल रोड पर 600 अतिक्रमण

घंटाघर से आइएसबीटी तक करीब 6.5 किमी लंबी सड़क को माडल रोड बनाने का दावा किया गया था। लेकिन, आठ करोड़ रुपये खर्च कर यहां बनाए गए फुटपाथ पर भी अवैध कब्जा हो चुका है, जबकि नाली बनाने का काम अब तक अधूरा है। जहां से पांच वर्ष पूर्व अतिक्रमण हटाया गया था, वहां दोबारा कब्जे हो चुके हैं।
6.5 किमी क्षेत्र में छोटे-बड़े 600 अतिक्रमण हो गए हैं। माडल रोड के फुटपाथ और नाली से बाहर सड़क तक अतिक्रमण किया हुआ है। शिमला बाईपास से लालपुल, पटेलनगर से सहारनपुर चौक, गांधी रोड से घंटाघर तक यही स्थिति है।

इवनिंग वाक छोड़ चुके बुजुर्ग

70 साल से देहरादून में रह रहे सेवानिवृत्त शिक्षक बीएन गुप्ता अब शाम की सैर पर नहीं जाते। वह कहते हैं सुबह जल्दी उठकर मार्निंग वाक कर आता हूं। इसके बाद ट्रैफिक इतना होता है कि टहलना संभव नहीं। शाम की सैर के बारे में तो सोचा भी नहीं जा सकता।
राजधानी बनने के बाद यही है शहर की हकीकत। गुजरे 23 साल में जनसंख्या में 35 प्रतिशत वृद्धि हुई, जबकि सड़कों की चौड़ाई 10 प्रतिशत ही बढ़ सकी। वाहनों की संख्या में 300 प्रतिशत वृद्धि हो चुकी है। इस हाल में पैदल चलने वाले बहुत पीछे छूट गए।

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