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Lok Sabha Election 2024 बिहार के रोहतास जिले के नागा टोली गांव में 19 साल बाद मतदान केंद्र की स्थापना इस बार होगी। आखिरी बार 2005 में यहां मतदान केंद्र बना था। अब 19 साल बाद ग्रामीण अपने गांव में मतदान करेंगे। पहले 28 किमी दूर मतदान करने जाना पड़ता था। यह गांव कैमूर पर्वत शृंखला की गोद में बसा है।
प्रेम पाठक, जागरण, डेहरी आन सोन, रोहतास। बिहार के सासाराम लोकसभा क्षेत्र में रोहतास जिले की कैमूर पर्वत शृंखला की गोद में बसी रोहतास गढ़ पंचायत में गत 19 वर्षों से लोकसभा या विधानसभा चुनाव में मतदान केंद्र बना ही नहीं। अंतिम बार मतदान केंद्र 2005 में बना था।
अब जानिए इस पंचायत के एक राजस्व गांव नागा टोली की कहानी। यहां के लगभग 800 मतदाताओं को 28 किलोमीटर दूर रोहतास प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय में बने बूथ से जोड़ा जाता था, जहां एक-दो दर्जन मतदाता ही पहुंच पाते थे। इस लोकसभा चुनाव में नागा टोली के आदिवासी आवासीय मध्य विद्यालय भवन में मतदान केंद्र बनाने का निर्णय जिला प्रशासन ने किया है।
यहां अंतिम सातवें चरण में एक जून को मतदान होना है। इसे लेकर उत्सुकता चरम पर है। ग्रामीण सत्येंद्र उरांव व मोहन उरांव कहते हैं, हम लोग क्या बताएं कि किसे वोट देना है या देना चाहिए। देश-दुनिया को जान-समझ रही युवा पीढ़ी जिसे बोलेगी, उसे दे देंगे। मैदानी क्षेत्र से संपर्क का सुगम साधन यहां की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
रोपवे का हो रहा निर्माण
ग्रामीणों को पता है कि कैमूर पहाड़ी पर अवस्थित रोहतास गढ़ किला व रोहितेश्वर धाम भ्रमण के लिए रोपवे का निर्माण हो रहा है। रोपवे प्वाइंट गांव से लगभग पांच किमी दूर है। पूर्व मुखिया कृष्णा यादव कहते हैं कि पर्यटन क्षेत्र के विकास से पर्यटकों की आमद बढ़ेगी तो रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इससे आसपास के गांवों की आर्थिकी सुधर जाएगी। रोपवे से स्थानीय लोगों के आने जाने के लिए सेवा निशुल्क होगी या कोई न्यूनतम दर निर्धारित होगी, यह पता नहीं।
गांव तक पहुंची ये योजनाएं
पंचायत समिति सदस्य मदन उरांव बताते हैं कि वह केंद्र व राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में ग्रामीणों को बताते हैं, उनका लाभ दिलाते हैं। ग्रामीणों को अंत्योदय योजना के तहत निशुल्क अनाज, वृद्धावस्था पेंशन मिल रहा है। अधिकतर का आयुष्मान भारत कार्ड बन गया है, जन धन योजना के तहत बैंक खाते भी खुल गए हैं। हालांकि कुछ लोग वंचित भी हैं।
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उन्होंने बताया कि अभी तो चारों ओर चुनाव की चर्चा है, एक जून को सुबह सात बजे से अपराह्न चार बजे तक मतदान होगा। गांव में बूथ होने के कारण इस बार जमकर मतदान होने की उम्मीद है। 2005 के पहले तक पहाड़ी क्षेत्र में नक्सली प्रभाव के कारण सभी चुनाव नीचे मैदानी क्षेत्र में कराए जाते थे। अब भटके हुए लोग मुख्य धारा में आ गए हैं, चिंता की कोई बात नहीं है।
राह पथरीली… मुश्किल से पहुंचते हैं वाहन
निर्माणाधीन रोहतास-अधौरा मुख्य मार्ग रेहल गांव के निकट से गुजर रहा है, नागा टोली से दूरी आठ किलोमीटर है, राह पथरीली है, वाहन मुश्किल से चल पाते हैं। अधिकतर ग्रामीण अपनी आवश्यकता की सामग्री या उपचार के लिए सड़क मार्ग का कम इस्तेमाल करते हैं। 1580 फुट ऊंची पहाड़ी से पैदल ही खिड़की घाट के नीचे बौलिया गांव में उतरते हैं। वहां से चार किलोमीटर दूर यदुनाथपुर डेहरी मुख्य मार्ग पर पहुंचते हैं।
अनुसूचित जनजाति उरांव बहुल गांव के ऐसे हैं हालात
नागा टोली चारों तरफ जंगल, पहाड़, झरने व प्राचीन ऐतिहासिक दुर्ग रोहतास गढ़ से घिरा है। प्रकृति ने भरपूर सौंदर्य दिया है। कोई भी यहां आकर प्रफुल्लित व मुदित हो जाए। यह गांव उरांव जनजाति बहुल है। गांव में कुल 203 घर हैं। इनमें उरांव 166, यादव 30, भुइयां पांच व पासवानों के तीन परिवार रहते हैं। इनके जीविकोपार्जन का मुख्य स्रोत पशुपालन, कृषि व जंगली औषधीय जड़ी-बूटी, आंवला, हर्र, बहेड़ा की तुड़ाई कर बिक्री है।
फसल की पटवन प्रकृति पर निर्भर है। गांव में सौर ऊर्जा चलित बिजली है। जिससे घर-घर दो बल्ब और एक पंखे की व्यवस्था है। पेयजल के लिए सौर चालित मोटर पंप है। इन दिनों भीषण गर्मी में यह सूख गया है तो कुएं पर निर्भरता है। एक स्वास्थ्य उप केंद्र जीर्णशीर्ण अवस्था में है। यहां दो एएनएम की प्रतिनियुक्ति है। डॉक्टर साल में एक या दो बार विशेष शिविर में आते हैं। गांव में एक सरकारी आदिवासी आवासीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय है। अन्य बच्चे ईसाई मिशनरी द्वारा स्थापित जेम्स स्कूल विद्यालय में पढ़ते हैं।
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