यूपी में मर्डर को तेंदुआ के हमले से मौत तो नहीं दिखा रहे? सात महीने में 15 मौत पर वन विभाग को शक

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इलाके में लगातार कई मौतों से वन विभाग भी सकते में है। वन विभाग का कहना है कि उन्हें शक है इंसान ही हत्याएं करके गन्ने के खेतों में लाशों को फेंक रहे हैं जिन्हें तेंदुए का हमला समझा जा रहा है।

 

यूपी में मर्डर को तेंदुआ के हमले से मौत तो नहीं दिखा रहे? सात महीने में 15 मौत पर वन विभाग को शक

यूपी के बिजनौर में पिछले 7 महीनों में 15 मौतों में से कई को तेंदुए के हमले के कारण बताया गया। इसी के बाद वन विभाग सतर्क हो गया है। जहां एक ओर वन विभाग ने लोगों को जंगलों के पास सतर्क रहने के लिए कहा है वहीं मौतों को लेकर भी वन विभाग ने शक जाहिर किया है। अधिकारियों का कहना है कि इंसानी कारणों से हो रही मौतों को भी तेंदुए का हमला बताया जा रहा है। इसमें मर्डर भी शामिल है। वन विभाग का शव है कि आसपास हुए मर्डर को भी तेंदुए का हमला बताया जा रहा है।

दरअसल, इलाके में लगातार कई मौतों से वन विभाग भी सकते में है। वन विभाग का कहना है कि इंसान ही हत्याएं करके गन्ने के खेतों में लाशों को फेंक रहे हैं जिन्हें गीदड़ जैसे जानवर खा जाते हैं और अंत में अवशेष मिलने औऱ पोस्टमार्टम होने पर वो तेंदुए के हमले की तरह दिखती हैं। वन विभाग का कहना है कि हाल ही में तेंदुए के हमले से बताई गई हत्याओं के बाद शक हुआ। दरअसल, तेंदुओं पर कड़ी निगरानी की जा रही है। इस कारण सारी हत्याओं को तेंदुए के हमले का नाम नहीं दिया जा सकता। उनका कहना है कि हमें डर है कि इंसानों द्वारा की गई हत्याओं को तेंदुए का हमला बताया जा रहा है।

इस संबंध में प्रभागीय वनाधिकारी अरुण कुमार सिंह ने जिलाधिकारी अंकित अग्रवाल को पत्र भेजा है। कहा जा रहा है कि हत्याओं से जुड़े सच को पोस्टमार्टम के जरिए सही से पता किया जा सकता है। हालांकि इसके लिए पोस्टमार्टम के दौरान एक वन्यजीव विशेषज्ञ और फोरेंसिक अन्वेषक मौजूद रहना चाहिए जो इस तथ्य को सामने ला सके कि हत्या का कारण तेंदुए का हमला है या नहीं?

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