ग्रीस के प्रधानमंत्री किरिकोस मित्सोटाकिस बुधवार सुबह राष्ट्रपति भवन पहुंचे। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका औपचारिक स्वागत किया। इसके बाद दोनों लीडर्स के बीच बातचीत हुई। इस दौरान ग्रीस के PM ने कहा- प्रधानमंत्री मोदी में मुझे एक दूरदर्शी नेता और एक सच्चा मित्र दिखता है। भारत आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।
मित्सोटाकिस मंगलवार देर रात दो दिन की भारत यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे थे। विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने उन्हें रिसीव किया था। 16 साल बाद ग्रीस का कोई प्रधानमंत्री भारत आया है। इसके पहले प्रधानमंत्री कोस्टास करमनलिस जनवरी 2008 में भारत आए थे।
मित्सोटाकिस 9वें रायसीना डायलॉग 2024 के चीफ स्पीकर होंगे। प्रधानमंत्री मोदी इसका उद्धाटन करेंगे। ग्रीस PM के साथ हाईलेवल डेलिगेशन भी भारत आया है। इसमें बिजनेसमैन भी शामिल हैं।
रायसीना डायलॉग वैश्विक मुद्दों पर चर्चा का मंच है। इसमें मुख्य तौर पर 100 से ज्यादा देशों के विदेश मंत्री बैठक करते हैं। इस साल ग्रीस के PM चीफ गेस्ट हैं।
मोदी ने कहा- रक्षा के क्षेत्र में बढ़ता सहयोग हमारे गहरे आपसी विश्वास को दर्शाता है। इस क्षेत्र में काम करने के लिए वर्किंग ग्रुप का गठन किया गया है।
इससे हम रक्षा, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा जैसी आम चुनौतियों में सहयोग बढ़ा सकते हैं। हम दोनों देशों के रक्षा क्षेत्रों को जोड़ने पर सहमत हुए हैं।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और ग्रीस की चिंताएं एक जैसी हैं। इस क्षेत्र में अपने सहयोग को और मजबूत करने के लिए हमने चर्चा की है।
मोदी ने कहा- हम इंडो-पेसिफिक में ग्रीस की सक्रिय भागीदारी और सकारात्मक भूमिका का स्वागत करते हैं। यह खुशी की बात है कि ग्रीस ने इंडो-पेसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव में शामिल होने का फैसला किया है। हम इस बात पर सहमत हैं कि सभी विवादों और तनावों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।
भारत इंडो पेसिफिक में स्थिरता और सुरक्षा के मुख्य स्तंभों में से एक है। अगले साल भारत और ग्रीस के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे हो जाएंगे।
मोदी ने कहा- दो पुरानी और महान सभ्यताओं के तौर पर भारत और ग्रीस के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों का एक लंबा इतिहास है। 2500 सालों तक दोनों देशों के लोग व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों के साथ ही आइडियाज भी एक्सचेंज करते आए हैं। हमने इन संबंधों को आधुनिक बनाने के लिए कई नई पहलों पर सहमति बनाई है।
मुझे भारत में प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस और उनके डेलीगेशन का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। ग्रीक प्रधानमंत्री 16 सालों बाद भारत दौरे पर आए हैं। यह एक ऐतिहासिक मौका है। यह खुशी की बात है कि हम 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस ने कहा- हम 2028-29 के लिए UNSC में भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करते हैं। हम संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए बॉर्डर डायलॉग का भी समर्थन करते हैं।
मैं पहली बार आधिकारिक दौरे पर भारत आया हूं। PM मोदी के साथ मिलकर हम अपने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने का काम करते रहेंगे।
इस साल हम माइग्रेशन को लेकर समझौते पर काम कर रहे हैं। यह अवैध प्रवासियों को रोकने और मानव तस्करी से लड़ने जैसे मुद्दों पर हमारे सहयोग को मजबूत करेगा। साथ ही इससे युवा भारतीयों को ग्रीस आकर काम करने और हमारी अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देने के नए अवसर मिलेंगे।
ग्रीस दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है और भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र। हम एक-दूसरे के साथ साझेदारी बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। पिछले साल दोनों देशों के बीच कृषि और रक्षा के क्षेत्रों में समझौते हुए थे।
ग्रीस और भारत कई मायनों में एक दूसरे के करीब हैं। हमारे साझा मूल्य उस पुल के रूप में काम करते हैं जो हमें करीब लाता है।
तुर्किये कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ जाकर पाकिस्तान का समर्थन करता है। इतना ही नहीं, पाक और ईरान तेजी से डिफेंस साझेदारी बढ़ा रहे हैं।
अप्रैल 2023 में तुर्किये ने पाकिस्तान को बायरकतार टीबी 2 ड्रोन दिए। यह ड्रोन रूस-यूक्रेन युद्ध में अपनी काबिलियत साबित कर चुका है। पाकिस्तान को यह ड्रोन मिलना भारत के लिए किसी खतरे से कम नहीं है।
पाक-तुर्किये के गठजोड़ को भेदने के लिए पिछले साल अगस्त में भारतीय वायुसेना के चीफ वीआर चौधरी ग्रीस गए थे। इस बीच दोनों देशों में ड्रोन टेक्नोलॉजी पर काम करने के लिए बातचीत हुई।
दरअसल, ड्रोन के खतरे को देखते हुए तुर्किये का दुश्मन ग्रीस अब भारत का साथ देने को तैयार है।
ग्रीस इस ड्रोन के रडार से जुड़ा अहम डेटा भारत के साथ शेयर कर सकता है। बरयाकतार ड्रोन के छोटे होने की वजह से इन्हें रडार पर डिटेक्ट कर पाना मुश्किल होता है। ऐसे में भारत के साथ साझा की गई जानकारी काफी अहम होगी। इसके बदले भारत ग्रीस को ब्रह्मोस दे सकता है।
ग्रीस PM प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय बातचीत करने दिल्ली के हैदराबाद हाउस पहुंच गए हैं।
एजियन सागर को लेकर ग्रीस और तुर्किये में तनातनी चलती रहती है। इसके अलावा दोनों नाटो देशों के बीच साइप्रस द्वीप के बंटवारे को लेकर भी विवाद है। ये विवाद 1974 से है। जब ग्रीस समर्थित सैन्य तख्तापलट के जवाब में तुर्की के लड़ाकों ने इस द्वीप पर हमला किया था।
बाद में कब्जा किए गए इलाके को तुर्किये ने टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दन साइप्रस नाम दे दिया।
तुर्किये के देश बनने से पहले भी यूनानियों और तुर्कों के बीच दुश्मनी का एक लंबा इतिहास रहा है। इस मुद्दे पर भारत ने हमेशा से ग्रीस का साथ दिया है। वहीं, ग्रीस भी कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन करता है। ग्रीस UNSC में भी भारत की परमानेंट सीट का हिमायती है।
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ग्रीस के विजिटिंग प्राइम मिनिस्टर के लिए लंच भी होस्ट करेंगे। इसके बाद दोनों नेता डेलिगेशन के साथ बातचीत करेंगे।
राजघाट पर ग्रीस PM मित्सोटाकिस ने वीजिटर बुक पर साइन किए। उन्हें मोमेंटो भी दिया गया।
ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस ने पत्नी मारेवा ग्रैबोव्स्की-मित्सोटाकिस के साथ राजघाट पहुंचे। उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।
ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस ने राष्ट्रपति भवन में कहा- भारत आना सौभाग्य की बात है। हमारे लिए भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी विशेष महत्व रखती है।
ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस पत्नी मारेवा ग्रैबोव्स्की-मित्सोटाकिस के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंचे।
विदेश मंत्री एय जयशंकर ने ग्रीस के प्रधानमंत्री से मुलाकात की। कहा- हमने भारत-ग्रीस संबंधों को बढ़ाने पर चर्चा की। हम दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर सहमत हुए।
ग्रीस के PM किरिकोस मित्सोटाकिस मंगलवार देर रात दिल्ली पहुंचे। विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने उन्हें रिसीव किया।
ग्रीस के प्रधानमंत्री किरिकोस मित्सोटाकिस के भारत दौरे से पहले नई दिल्ली में दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज नजर आ रहे हैं।
ग्रीस के लिए भारत एशिया का प्रवेश द्वार है, जबकि भारत के लिए यूरोप जाने के लिए ग्रीस गेटवे है। लिहाजा, कारोबारी तौर पर दोनों देशों को एक-दूसरे की सख्त जरूरत है।
मोदी अगस्त 2023 में ग्रीस गए थे। इसके बाद से दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक लेवल पर लगातार संपर्क है। मोदी और मित्सोटाकिस ने एथेंस में जारी साझा बयान में कहा था कि भारत और ग्रीस को इकोनॉमिक ग्रोथ के अलावा सिक्योरिटी, डिफेंस, शिपिंग के साथ ही कल्चरल लेवल पर भी साथ काम करने की जरूरत है। इससे ग्लोबल और रीजनल लेवल पर बहुत फायदा होगा और दोनों देशों के लोग भी करीब आएंगे।
मित्सोटाकिस ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था- भारत को यूरोप जाने के लिए ग्रीस से अच्छा रास्ता नहीं मिलेगा और यही बात मैं ग्रीस के बारे में कह सकता हूं कि हम एशिया तक भारत के रास्ते ही जा सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इसके रास्ते खोल दिए हैं।
भारत और ग्रीस के बीच हाईएस्ट लेवल रिलेशन लंबे वक्त बाद फिर शुरू हुए हैं। आखिरी बार ग्रीस का कोई प्रधानमंत्री 2008 में भारत आया था। मोदी अगस्त 2023 में एथेंस गए थे। माना जा रहा है कि दोनों देश सिक्योरिटी से जुड़े मामलों पर भी समझौते करेंगे।
ग्रीस के अखबार ‘एकाथिमिरिनी’ के मुताबिक भारत और ग्रीस के रिश्तों में यह नई पहल दोनों देशों के लिए बड़ी कामयाबी साबित होगी। इसकी वजह यह है कि अगर ग्रीस को एशिया तक पहुंचने के लिए भारत की जरूरत है तो भारत के लिए भी यूरोप का रास्ता ग्रीस से होकर ही जाता है। मोदी जब पिछले साल एथेंस गए थे तो यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की 40 साल बाद ग्रीस विजिट थी।
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.
