शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे; जिन्हें वाजपेयी-आडवाणी ने संवारा, उनका अब कौन सहारा

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क्या केंद्र में मिलेगी जगह
एमपी और राजस्थान आने से पहले राजे और चौहान दोनों ही नेता केंद्र सरकार में भी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि राजे को साल 2014 में केंद्र में आने का मौका दिया गया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था।

बहरहाल, अब जब भाजपा ने दोनों ही राज्यों में कमान नए नेताओं को सौंप दी है, तो बड़े नामों को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा के एक नेता का कहना है कि इन दिग्गजों को बगैर कार्यभार के रखना असंभव सा है।

उन्होंने कहा, ‘उन्हें बगैर कार्यभार के नहीं रखा जाएगा। उन्हें क्या काम मिलेगा? वे उसे स्वीकार करेंगे या नहीं? उन्हें कब मिलेगा? इन सवालों के जवाब अभी नहीं दे सकता। हमारा संगठन कार्यकर्ताओं का सम्मान करता है और बड़े समर्थकों वाले शीर्ष नेताओं को कामों से दूर नहीं रखा जा सकेगा।’ जबकि, कहा यह भी जाने लगा है कि अगर इन नेताओं ने मिलने वाले नए कामों को अस्वीकार किया, तो आलाकमान को फैसला करने में समय लग सकता है। साथ ही केंद्र सरकार में भी जिम्मेदारी मिलने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा रहा।

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