इस मिशन का बजट 615 करोड़ रुपये रखा गया है। जोखिमों को कम करने और एक सफल मिशन सुनिश्चित करने के लिए चंद्रयान-3 को कठोर परीक्षण और सत्यापन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने बहुप्रतीक्षित मून मिशन यानी चंद्रयान-3 के लॉन्च की तारीख तय कर दी है। अधिकारियों ने बुधवार को घोषणा करते हुए कहा कि रॉकेट 13 जुलाई को स्थानीय समयानुसार दोपहर 2:30 बजे लॉन्च किया जाएगा। चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से उतरने और वहां गतिविधियां करने की क्षमता प्रदर्शित करने के लिए चंद्रयान-2 के बाद अब चंद्रयान-3 भेजा जा रहा है।
चंद्रयान-2 को 2019 में लॉन्च किया गया था। यह काफी हद तक एक सफल मिशन था। पिछला मिशन चंद्रमा की परिक्रमा करने में कामयाब रहा था, लेकिन विक्रम लैंडर को एक हार्ड लैंडिंग का सामना करना पड़ा, जिससे रोवर को योजना के अनुसार तैनात नहीं किया जा सका था। इसरो अधिकारी आगामी मिशन की सफलता की संभावना को लेकर आश्वस्त हैं। चंद्रयान-3 मिशन से चंद्रमा के बारे में हमारी समझ और गहरी होने की उम्मीद है, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग और रोबोटिक रोवर संचालित करने की क्षमता प्रदर्शित करना है।
क्यों है इस बार खास?
अधिकारियों के अनुसार, चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण यान मार्क-3 के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए 13 जुलाई को दोपहर ढाई बजे का समय निर्धारित किया गया है। प्रोपेलेंट मॉड्यूल ‘लैंडर’ और ‘रोवर’ को 100 किलोमीटर तक चंद्रमा की कक्षा में ले जाएगा। इसमें, चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी के ध्रुवीय मापन का अध्ययन करने के लिए एक ‘स्पेक्ट्रो-पोलरमेट्री’ पेलोड भी जोड़ा गया है।
इस मिशन का बजट 615 करोड़ रुपये रखा गया है। जोखिमों को कम करने और एक सफल मिशन सुनिश्चित करने के लिए चंद्रयान-3 को कठोर परीक्षण और सत्यापन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा है। चंद्र पेलोड कॉन्फिगरेशन सहित मिशन डिजाइन को पिछले मिशन से सीखे गए सबक के आधार पर ऑप्टिमाइज किया गया है।
इस बार, इसरो ने मिशन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। चंद्रयान-3 मिशन में चंद्रयान-2 के समान एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा। कम्युनिकेशन रिले सेटेलाइट की तरह व्यवहार करने के लिए डिजाइन किया गया प्रोपेलेंट मॉड्यूल, लैंडर और रोवर को तब तक ले जाएगा जब तक कि अंतरिक्ष यान 100 किमी की चंद्र कक्षा में न हो जाए।