दिल्ली के कस्तूरबा नगर में चला डीडीए का बुलडोज़र, सरकारी जमीन पर बने दर्जनों मकान ध्वस्त

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बुलडोजर चलने से पहले पुलिस अधिकारियों ने करीब एक किलोमीटर तक के क्षेत्र और गलियों में जगह-जगह पुलिस कर्मियों और अद्र्धसैनिक बल के जवानों को लाठी और आंसू गैस के गोलों के साथ मुस्तैद कर दिया था।

दिल्ली के कस्तूरबा नगर में चला डीडीए का बुलडोज़र, सरकारी जमीन पर बने दर्जनों मकान ध्वस्त

दिल्ली के विश्वास नगर के समीप कस्तूरबा नगर में सरकारी जमीन पर बन गए मकानों को डीडीए ने बुधवार को ढहा दिया गया। मकानों को गिराने के विरोध में कस्तूरबा नगर के सैंकड़ों लोगों की भीड़ घरों से बाहर तो निकली , लेकिन बड़ी संख्या में पुलिस बल के तैनात होने पर भीड़ कोई विरोध ना कर सकी। बुलडोजर चलने से पहले पुलिस अधिकारियों ने करीब एक किलोमीटर तक के क्षेत्र और गलियों में जगह-जगह पुलिस कर्मियों और अद्र्धसैनिक बल के जवानों को लाठी और आंसू गैस के गोलों के साथ मुस्तैद कर दिया था। अधिकारियों का कहना है कि  शाम तक चली तोड़फोड़ की कार्रवाई में करीब दो दर्जन से अधिक अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया। बताया गया कि बृहस्पतिवार को भी कार्रवाई की जाएगी।

सर्वोच्चय न्यायालय के आदेश पर डीडीए ने गत 22 मई को कस्तूरबा नगर में सरकारी जमीन पर बने अवैध निर्माणों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की थी, लेकिन इसी बीच अनेक लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने आदेश दिया कि 30 मई तक लोग अपने घरों को स्वयं खाली कर ले और तक के लिए डीडीए को कार्रवाई ना करने के आदेश दिए थे। इस दौरान कुछ लोगों ने अपने घरों से सामान निकाल लिया था।

बुधवार सुबह करीब सात बजे से दिल्ली पुलिस और अद्र्धसैनिक बल के जवानों को कस्तूरबा नगर से सटे मुख्य मार्ग और कालोनी की गलियों में तैनात कर दिया गया और करीब नौ बजे डीडीए के बुलडोजरों ने अवैध मकानों को तोड़ना शुरू कर दिया। शाम तक चली कार्रवाई में करीब दो दर्जन से अधिक मकानों को ध्वस्त कर दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि जो मकान शेष बचे हैं उन्हें बृहस्पतिवार को ढहा दिया जाएगा।
लोगों का कहना है मकान छीने दिए नहीं सरकार ने
कस्तूरबा नगर निवासी महेंद्र का कहना है कि वह 40 साल पहले से यहां बसे हुए हैं और आज सरकार उनके पक्के घरों को तोड़ कर उजाड़ रही है। पहले यहां सरकार ने लोगों को बिजली -पानी और सड़कों की सुविधाएं मुहैया कराई तो यह कालोनी अब अवैध कैसे हो गई। अगर मकान तोड़ने थे तो उससे पहले लोगों को मकान मुहैया कराने चाहिए थे, जैसे कुछ लोगों को द्वारका में मकान दिए गए थे। आज जिन लोगों के मकान तोड़े गए हैं वह बेघर होने के बाद अब रातें सड़कों पर गुजराने को मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि दो दिन पहले मकानों को तोड़े जाने के विरोध में उन्होंने विधायक के कार्यालय पर धरना दिया था, लेकिन विधायक ने उनकी बातें नहीं सुनी और कार्यालय में मौजूद नहीं रहे थे।
क्या कहते हैँ विधायक
क्षेत्रीय विधायक ओमप्रकाश शर्मा का कहना है कि कस्तूरबा नगर में इन अवैध झुग्गियों के हटने से रोड नंबर 57 व 58 अब जुड़ सकेगा। इस मार्ग के खुलने से विवेक विहार , झिलमिल  सहित आस-पास के इलाकों से प्रतिदिन आने-जाने वाले हजारों लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा। इस मार्ग पर सालभर पहले भी झुग्गियां हटाई गई थीं , लेकिन कुछ लोग अदालत में चले गए थे। अदालत में मामला हार जाने के बाद डीडीए ने अवैध निर्माणों को ढहाया है। इस बीच अदालत ने एक सप्ताह का समय लोगों को दिया था ताकि वह अपने घरों को खाली कर सकें। उसके बाद बुधवार को डीडीए ने तोड़फोड़ की कार्रवाई की है।

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