लोकसभा चुनाव 2024 में शायद गुरुग्राम में कांग्रेस को अभिनेता राज बब्बर से किसी करिश्मे की उम्मीद है इसीलिए काफी मशक्कत और लंबे इंतजार के बाद पार्टी ने यहां से उनके नाम पर मुहर लगाई है।
कांग्रेस पिछले दो लोकसभा चुनावों में यहां से हार रही है। हालांकि, वह यहां से 5 बार जीत भी हासिल कर चुकी है।
गुरुग्राम में साल 1952 से 1971 तक लोकसभा के चुनाव होते रहे, लेकिन 1977 में इस निर्वाचन क्षेत्र को समाप्त कर दिया गया। 2009 में जब लोकसभा सीटों का परिसीमन हुआ तो यह सीट फिर से अस्तित्व में आई।
गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र के चुनावी मैदान में 2024 से पहले कोई अभिनेता नहीं उतरा था। हालांकि, शाहरुख खान के पिता यहां से पहले ही चुनाव में किस्मत आजमा चुके थे। नवाब पटौदी जैसी दिग्गज हस्ती भी यहां दो-दो हाथ कर चुकी है।
राज बब्बर को टिकट मिलने के पीछे कुछ अहम कारण हो सकते हैं। राज बब्बर ओबीसी वर्ग में आने वाले पंजाबी सुनार समुदाय से आते हैं। गुरुग्राम में 2 लाख मतदाता पंजाबी समुदाय के हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि राजब्बर को प्रत्याशी बनाने से उसे पंजाबी समुदाय के मतदाताओं का साथ मिल सकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री और हरियाणा में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खुलकर राज बब्बर के नाम की पैरवी की थी। यही वजह रही कि पार्टी हाई कमान ने यहां पर हुड्डा की पसंद को नजरअंदाज नहीं किया।
इंडिया गठबंधन में इस बार सपा भी शामिल है। इस क्षेत्र में अहीर समुदाय के मतदाताओं की संख्या 6 लाख से ज्यादा है। राज बब्बर लंबे वक्त तक सपा में रहे हैं इसलिए कुछ हद तक अहीर मतदाता कांग्रेस का साथ दे सकते हैं, यह भी एक सोच रही होगी।
फिल्म अभिनेता होने की वजह से राज बब्बर की अपनी फैन फ़ॉलोइंग भी है। इसका भी फायदा कांग्रेस को यहां मिल सकता है।
गुरुग्राम सीट पर पिछले तीन चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह को जीत मिली है। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी के साथ चले गए थे। 2019 में राव इंद्रजीत सिंह की जीत का अंतर लगभग चार लाख वोटों का रहा था। वह मोदी सरकार में मंत्री भी हैं।
बीजेपी ने एक बार फिर राव इंद्रजीत सिंह को ही टिकट दिया है जबकि 4.5 साल तक हरियाणा में बीजेपी के साथ सरकार चलाने वाली जेजेपी ने इस लोकसभा क्षेत्र में अहीर मतदाताओं की संख्या को देखते हुए पॉपुलर हरियाणवी गायक राहुल यादव फाजिलपुरिया को उम्मीदवार बनाया है। इनेलो ने अब तक यहां से अपने उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया है।
1957 में भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर लड़कर चुनाव जीते थे। फिल्म स्टार शाहरुख खान के पिता ताज मोहम्मद भी 1957 में इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। 1971 के लोकसभा चुनाव में जानी-मानी अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के पति और क्रिकेटर नवाब मंसूर अली खान पटौदी और एस्कॉर्ट के मालिक हरप्रसाद नंदा यहां से चुनाव मैदान में उतरे थे। यह पहला मौका है जब कोई फिल्म स्टार गुरुग्राम की सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ रहा है।
राज बब्बर के चुनाव मैदान में उतरने से पूर्व मंत्री और एक बार फिर गुरुग्राम से टिकट मांग रहे कैप्टन अजय यादव नाराज हो गए हैं। कैप्टन अजय यादव ने कहा है कि वह पार्टी नेतृत्व के फैसले को तहे दिल से स्वीकार करते हैं। कैप्टन अजय यादव कांग्रेस की ओबीसी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वह रेवाड़ी सीट से छह बार विधायक रह चुके हैं। उनके बेटे चिरंजीव राव अभी रेवाड़ी सीट से विधायक हैं। यादव ने इस साल फरवरी में हरियाणा के चुनाव के लिए बनाई गई कमेटी से इस्तीफा दे दिया था वह भजनलाल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में मंत्री रहे हैं।
गुरुग्राम सीट पर अहीर और मेव मतदाता काफी अहम हैं। अहीर मतदाताओं की संख्या यहां 6 लाख से ज्यादा है जबकि मेव मतदाता साढ़े तीन लाख के आसपास हैं। बीजेपी के उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह अहीर समुदाय से आते हैं।
गुरुग्राम सीट पर 24.9 लाख मतदाता हैं और इसमें गुरुग्राम के अलावा रेवाड़ी और नूंह जिले आते हैं। इस लोकसभा सीट में गुड़गांव, बादशाहपुर, सोहना, पटौदी, बावल, रेवाड़ी, नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना विधानसभा सीट शामिल हैं।
राज बब्बर ने पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की अगुवाई वाले जनता दल के साथ 1989 में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। कुछ साल बाद वह सपा में शामिल हो गए। सपा ने उन्हें 1994 में राज्यसभा में भेजा। 1996 में राज बब्बर ने लखनऊ सीट से बीजेपी के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन तब उन्हें 1.80 लाख वोटों से हार मिली थी।
1999 में राज बब्बर ने सपा के टिकट पर आगरा से चुनाव लड़ा और तब उन्होंने तीन बार सांसद रहे भगवान शंकर रावत को हराया था।
2004 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर फिर से आगरा सीट से चुनाव जीते लेकिन कहा जाता है कि सपा में उनकी तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह के साथ कुछ खटपट हुई और उन्होंने सपा को अलविदा कह दिया। इसके बाद राज बब्बर ने अपनी पार्टी जन मोर्चा बनाई और इसके टिकट पर 2007 में आगरा से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
2008 में राज बब्बर कांग्रेस में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें 2009 के लोकसभा चुनाव में फतेहपुर सीकरी से उम्मीदवार बनाया। राज बब्बर फतेहपुर सीकरी से तो चुनाव हार गए लेकिन इसी साल फिरोजाबाद सीट पर हुए लोकसभा उपचुनाव में उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हरा दिया था।
यह उपचुनाव राज बब्बर के राजनीतिक करियर में एक बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ क्योंकि उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव जैसे ताकतवर राजनेता की बहू को चुनाव हराना एक बड़ी घटना थी और इस वजह से राज बब्बर का सियासी कद बढ़ गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने गाजियाबाद सीट से चुनाव लड़ा लेकिन तब उन्हें पूर्व आर्मी चीफ और बीजेपी के उम्मीदवार वीके सिंह ने 5 लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया। 2016 में कांग्रेस ने राज बब्बर को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया।
2019 के लोकसभा चुनाव में वह एक बार फिर फतेहपुर सीकरी सीट से चुनाव लड़े लेकिन यहां भी उन्हें करारी हार मिली और बीजेपी के उम्मीदवार राजकुमार चाहर ने उन्हें चार लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया।