महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान पूरा हो चुका है और अब चुनाव के नतीजों के लिए 4 जून का इंतजार हो रहा है। महाराष्ट्र में लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं। महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन में शामिल बीजेपी, एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और एनसीपी और इंडिया गठबंधन के दलों- कांग्रेस, एनसीपी (शरद चंद्र पवार) और उद्धव ठाकरे की यूबीटी के बीच मुकाबला है।
चुनाव के नतीजों और प्रचार के दौरान हावी रहे मुद्दों के बारे में जानने के लिए वरिष्ठ पत्रकार और deKoder के सह संस्थापक प्रणय रॉय ने महाराष्ट्र में कई लोगों से बातचीत की। उन्होंने किसानों से बात की, अलग-अलग शहरों में गए और वहां लोगों से मिले।
प्रणय रॉय ने महाराष्ट्र की राजनीति के प्रमुख नेताओं- एकनाथ शिंदे, शरद पवार, नितिन गडकरी, छगन भुजबल और मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल से भी चर्चा की। प्रणय ने इस चुनावी यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के उत्तरी भाग से होते हुए सोलापुर, औरंगाबाद, नासिक, ठाणे और मुंबई तक की यात्रा की।
चुनावी माहौल का जायजा लेने के बाद रॉय ने नतीजों और मुद्दों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार दोराब आर. सुपारीवाला और लोकसत्ता के संपादक गिरीश कुबेर से चर्चा की।
बातचीत के दौरान प्रणय रॉय कहते हैं कि मराठा आरक्षण न मिलने की वजह से इस समुदाय के लोगों में गुस्सा अधिक है और इसका चुनाव में काफी असर पड़ सकता है क्योंकि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की आबादी 28% से अधिक है। दोराब कहते हैं कि आरक्षण का मुद्दा गायब नहीं हुआ है और यहां कृषि संकट भी है, इसलिए मराठा परेशान हैं लेकिन सवाल यह है कि वह किससे नाराज हैं और इसका पता हमें वोटों की गिनती होने के बाद ही चलेगा।
बातचीत के दौरान प्रणय रॉय कहते हैं कि जब उन्होंने मराठा समुदाय के लोगों से बात की और पूछा कि वे किसे वोट देंगे, इस बारे में वह अपने नेता मनोज जरांगे पाटिल के आदेश का इंतजार कर रहे थे।
मराठा समुदाय के लोग किसके पक्ष में मतदान करेंगे, इस सवाल के जवाब में गिरीश कुबेर कहते हैं कि मोदी-शाह की अगुवाई वाली भाजपा सरकार के आने के बाद से उन्होंने मराठा तंत्र को नष्ट कर दिया है। मराठा समुदाय के लोग सहकारी समितियों में काफी मजबूत थे। वे लोग अभी भी सहकारी बैंकों और कृषि क्षेत्र में काफी मजबूत हैं लेकिन सहकारी आंदोलन में शामिल होकर बीजेपी ने इसे वास्तव में खत्म करना शुरू कर दिया और कृषि संकट की वजह से मराठा समुदाय के लोग कमजोर हो गए हैं।
गिरीश कुबेर कहते हैं कि महाराष्ट्र में अब तक हुए मुख्यमंत्रियों में से तीन-चौथाई मुख्यमंत्री मराठा समुदाय से रहे हैं लेकिन अब वे सत्ता में नहीं हैं। न ही राजनीतिक और न ही आर्थिक स्तर पर और न ही कृषि के मुद्दे पर वे मजबूत हैं।
चर्चा के दौरान इस मुद्दे पर बात होती है कि मराठा समुदाय ओबीसी आरक्षण के भीतर 27-28 प्रतिशत आरक्षण चाहता है और इससे ओबीसी समुदाय परेशान है। आरक्षण के मुद्दे पर मराठा समुदाय और ओबीसी समुदाय आमने-सामने हैं। इस बारे में गिरीश कुबेर कहते हैं कि ओबीसी 1980 से हमेशा बीजेपी के साथ रहे हैं और अब बीजेपी मराठा समुदाय को अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है।
लेकिन दोनों समुदाय आपके साथ नहीं हो सकते और इसे संभाल पाना बीजेपी के लिए मुश्किल साबित हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओबीसी समुदाय से आते हैं तो क्या महाराष्ट्र में ओबीसी मोदी को वोट दे सकते हैं, इस सवाल के जवाब में दोराब कहते हैं कि पहले सहकारी बैंक का नेतृत्व अजीत पवार करते थे लेकिन अब वास्तव में मराठा समुदाय बीजेपी के साथ है।
चर्चा के दौरान महाराष्ट्र के किसानों की प्याज की कीमत को लेकर और उनके मुद्दों पर भी चर्चा हुई। प्याज उत्पादकों में इस बात को लेकर गुस्सा है कि केंद्र महाराष्ट्र के बजाय गुजरात का पक्ष ले रहा है। चर्चा के दौरान यह बात भी सामने आती है कि किसानों को ऐसा लगता है कि सरकार हमें सजा दे रही है क्योंकि सरकार को किसानों के विरोध के बाद उसके द्वारा लाए गए कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था, इसलिए कृषि संकट इस चुनाव में एक गंभीर मुद्दा है।
48 सीटों वाले महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन के अंदर बीजेपी 28 सीटों पर, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना 15 सीटों पर और एनसीपी पांच सीटों पर चुनाव मैदान में है। इंडिया गठबंधन में कांग्रेस 17 सीटों पर, शिवसेना (यूबीटी) 21 सीटों पर और एनसीपी (शरद चंद्र पवार) 10 सीटों पर चुनाव मैदान में है।
चर्चा के दौरान इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई कि पिछले तीन-चार सालों में फॉक्सकॉन जैसे कई प्रोजेक्ट आए लेकिन ये महाराष्ट्र से गुजरात चले गए और इसे महाराष्ट्र में दिल्ली के अतिक्रमण के तौर पर देखा जा रहा है। दोराब कहते हैं कि कुछ हद तक ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र को जो कुछ परियोजनाएं मिलनी चाहिए थी, वह गुजरात चली गईं।
महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों को लेकर किए गए पूर्वानुमानों के मुताबिक, एनडीए को 33 सीटें मिल सकती हैं जबकि इंडिया को 15। पिछले चुनाव नतीजों से तुलना करें तो एनडीए को 8 सीटों का नुकसान होगा और इंडिया को 10 सीटों का फायदा होगा। लेकिन पंचायत चुनाव के नतीजों के आधार पर देखें तो एनडीए को 24 और इंडिया गठबंधन को भी 24 सीटें मिलेंगी।
इस बारे में गिरीश कुबेर कहते हैं कि एनडीए 30 सीटों के आंकड़े को छू सकता है।
शिवसेना और एनसीपी में हुए विभाजन को लेकर क्या लोगों में सहानुभूति है, इस पर दोराब कहते हैं कि यह स्थानीय परिवार हैं और इन्हें तोड़ा गया है। गिरीश कुबेर कहते हैं कि महाराष्ट्र में एनडीए को 20 से अधिक सीटों का नुकसान और इंडिया गठबंधन को 26 से 28 सीटों का फायदा हो सकता है।