प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए 370 और एनडीए के लिए 400 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। लेकिन पार्टी के कुछ बड़े नेताओं के जिस तरह के बयान सामने आ रहे हैं, उससे यह सवाल खड़ा होता है कि यह नेता आखिर सरकार और संगठन की लाइन के खिलाफ क्यों जा रहे हैं?
पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा को हजारीबाग सीट पर चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लेने की वजह से हाल ही में पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
राजस्थान के बड़े आदिवासी नेता और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी ही सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए हैं। गुड़गांव सीट से बीजेपी के उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह को चुनाव में अपनी पार्टी के विधायकों का समर्थन नहीं मिल रहा है।
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान बीजेपी तमाम चुनौतियों से भी जूझ रही है। हरियाणा और पंजाब में किसान बीजेपी के उम्मीदवारों का लगातार विरोध कर रहे हैं। अग्निवीर योजना को लेकर कई जगहों पर नाराजगी दिखाई दी है। इसके अलावा महंगाई, बेरोजगारी को भी विपक्ष ने मुद्दा बनाया हुआ है।
सबसे पहले बात करते हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा की। जयंत सिन्हा को बीजेपी ने कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि वह आखिर चुनाव प्रचार से दूर क्यों रहे। बीजेपी ने इस बार जयंत सिन्हा को हजारीबाग सीट से टिकट नहीं दिया जबकि वह पिछले दो बार से यहां लगातार चुनाव जीत रहे थे।
कुछ दिन पहले जयंत सिन्हा के बेटे आशिर हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र में आयोजित एक चुनावी रैली में इंडिया गठबंधन के मंच पर दिखाई दिए थे। तब कांग्रेस ने दावा किया था कि आशिर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से जब द इंडियन एक्सप्रेस ने सवाल पूछा कि ऐसा लगता है कि जमीन पर बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं में चुनाव के दौरान जैसा उत्साह दिखाई देता था, वैसा इस बार नहीं दिख रहा है तो मौर्य ने कहा कि उन्होंने इस बात को नोटिस नहीं किया। लेकिन मैं यह समझ सकता हूं कि ऐसा इस वजह से हुआ है क्योंकि हमारे सामने मजबूत विपक्ष नहीं है। ऐसे में हमारे कार्यकर्ता चुनाव में किससे मुकाबला करें।
यह पूछे जाने पर कि उत्तर प्रदेश में नौकरियों की कमी और परीक्षा के पेपर लीक होने की वजह से युवाओं में गुस्सा है तो केशव प्रसाद मौर्य ने इस बात को स्वीकार किया और कहा कि यह बेहद गंभीर मुद्दा है और राज्य सरकार इन मामलों की जमीन तक जाकर तहकीकात कर रही है।
हरियाणा की गुरुग्राम सीट से बीजेपी के उम्मीदवार और मोदी सरकार में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को बीजेपी के विधायकों से सहयोग नहीं मिल पा रहा है। गुरुग्राम सीट से विधायक सुधीर सिंगला, सोहना सीट से विधायक संजय सिंह राव इंद्रजीत सिंह के प्रचार में नजर नहीं आए हैं। इसके अलावा पार्टी के कुछ सीनियर नेता भी उनके चुनाव प्रचार में सिर्फ नाम मात्र के लिए ही दिख रहे हैं।
राजस्थान सरकार के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान ही राज्य के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को कई पत्र लिखे हैं। इन पत्रों में उन्होंने सरकारी खजाने को 1146 करोड़ रुपए का नुकसान होने की बात कही है। उन्होंने राजस्थान स्टेट वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में कथित रूप से अरबों रुपए का घोटाला होने की बात भी पत्र में लिखी है।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि राज्य सरकार को इस मामले में जारी किए गए टेंडर को रद्द कर देना चाहिए और कैग की रिपोर्ट के आधार पर सरकारी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
इस बारे में बीजेपी के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि किरोड़ी लाल मीणा अपनी कुर्सी को बचाए रखने के लिए ऐसा कर रहे हैं क्योंकि मीणा ने कहा है कि अगर बीजेपी दौसा लोकसभा सीट पर चुनाव हार जाती है तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।
बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक दौसा लोकसभा सीट पर पार्टी के कुछ स्थानीय नेताओं ने यहां से उम्मीदवार कन्हैया लाल मीणा को हराने के लिए पार्टी के खिलाफ काम किया है। बीजेपी ने किरोड़ी लाल मीणा को पार्टी के चुनाव प्रचार का मुख्य चेहरा बनाया था।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन की बेटी और मुंबई नॉर्थ-सेंट्रल सीट से सांसद पूनम महाजन का टिकट इस बार काट दिया गया। इसे लेकर आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने स्वीकार किया था कि बीजेपी ने टिकट बंटवारे के मामले में संघ को लगभग नजरअंदाज कर दिया है।
कुछ दिन पहले जब कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना के आपत्तिजनक वीडियो का मामला सामने आया था तो कर्नाटक के एक भाजपा नेता ने मीडिया के सामने आकर कहा था कि उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को रेवन्ना की खराब इमेज के बारे में बताया था।
इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सामने चुनौतियां भी बहुत हैं। पंजाब और हरियाणा में किसान लगातार भाजपा के उम्मीदवारों का विरोध कर रहे हैं। हरियाणा में 2019 में बीजेपी को सभी 10 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन जिस तरह कई लोकसभा सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, उससे यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या बीजेपी हरियाणा में पिछली बार के चुनावी प्रदर्शन को दोहरा पाएगी?
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार, झारखंड, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल से बड़ी संख्या में युवा फौज में भर्ती होने के लिए जाते हैं। लेकिन अग्निपथ योजना सामने आने के बाद इन राज्यों में उग्र प्रदर्शन हुए थे। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया है कि वह सत्ता में आने पर इसे रद्द कर देगी। इसलिए पार्टी के सामने इस चुनाव में अग्निवीर योजना भी एक चुनौती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित तमाम नेता अपनी चुनावी सभाओं में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की बात मंच से कहते हैं। लेकिन चुनाव से ठीक पहले सीएसडीए-लोकनीति प्री पोल सर्वे के नतीजों से पता चलता है कि इस चुनाव में तीन सबसे बड़े मुद्दे बेरोजगारी, महंगाई और विकास हैं जबकि राम मंदिर, हिंदुत्व जैसे मुद्दे जनता की नजर में महत्वपूर्ण नहीं हैं।
बीजेपी को कड़े अनुशासन वाली पार्टी माना जाता है और यह कहा जाता है कि अन्य दलों के मुकाबले यहां पर नेताओं के लिए मीडिया के सामने आकर अपनी बात कहना आसान नहीं होता। लेकिन इन नेताओं के बयानों से पता चलता है कि पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है।