महाराजगंज में मोदी का भी नाम खराब कर रहे सांसद: लोग बोले- नहीं चाहिए थका एमपी; हिंदू-मुस्लिम और जाति की राज… – Dainik Bhaskar

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महाराजगंज लोकसभा की बात हो तो पहला नाम महामाया प्रसाद सिन्हा का आता है। वह इसी लोकसभा क्षेत्र के पटेढ़ा पंचायत के पटेढ़ा गांव के रहने वाले थे। वह स्वतंत्रता संग्राम से लेकर बिहार की राजनीति में काफी चर्चित रहे।
आंदोलन की रणनीति पटेढ़ा गांव से ही तैयार हुआ करती थी। गांव में महात्मा गांधी से लेकर कई बड़े जनता के नायक आए। महाराजगंज का लंबा चौड़ा इतिहास रहा है, लेकिन जनप्रतिनिधियों ने तो इनकी पहचान तक मिटा दी है।
केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। आज यहां के लोग महामाया प्रसाद के नाम पर विकास मांग रहे हैं। लोगों का कहना है कि महाराजगंज से भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को दो-दो बार जिताकर दिल्ली भेजा, लेकिन वह उनकी आवाज नहीं बन पाए।
सड़क परिवहन और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए मतदाता खुद को कोस रहे हैं। वोटर्स इस बार बदलाव की बात कर रहे हैं। जानिए महाराजगंज सीट पर सिटिंग सांसद का विकास के मुद्दे पर विरोध..।
बिहार का दूसरा मिनी चित्तौड़गढ़ महाराजगंज
महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में राजपूतों का दबदबा रहता है। राजपूतों की संख्या अधिक होने के कारण ही इस लोकसभा को बिहार का दूसरा चित्तौड़गढ़ कहा जाता है। इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां कोई जिला मुख्यालय नहीं है। सीवान की दो और सारण की 4 विधानसभा जुड़कर इस क्षेत्र को लोकसभा क्षेत्र बनाया गया है।
सीनियर जर्नलिस्ट प्रताप शेखर सिंह कहते हैं, महाराजगंज लोकसभा दो जिलों में आती है। इसलिए यह दो जिलों के राजनीतिक हालात से प्रभावित होती है। साल 1957 में यह लोकसभा बनी थी, महेंद्र नाथ सिंह यहां से पहले सांसद हुए। यहां सबसे अधिक राजपूत और दूसरे नंबर पर भूमिहार की आबादी है।
प्रताप शेखर सिंह आगे कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह ने इस लोकसभा से जीत का रिकॉर्ड बनाया था। राजपूतों के कारण वह सेफ सीट मानकर यहां चुनाव मैदान में उतरे थे और साल 1989 में वह यहां से सांसद चुने गए थे। साल 2014 और 2019 से लगातार जनार्दन सिंह सिग्रीवाल यहां के सांसद हैं।
महाराजगंज नगर पंचायत के साथ ब्लॉक मुख्यालय भी है। ब्रिटिश काल में यह मुख्य रेलवे लाइन से जुड़ा था। महाराजगंज की बड़ी पहचान महामाया प्रसाद से भी होती है, वह बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं। यह क्षेत्र कृषि पर निर्भर रहा है, लेकिन विकास नहीं होने से यह काफी पिछड़ रहा है। चुनाव में राजपूत और भूमिहार के जातीय समीकरण यहां के परिणाम पर असर डालते हैं।
जहां बिहार का पूर्व सीएम का घर वहां विकास नहीं
बिहार के दूसरे चित्तौड़गढ़ का हाल जानने दैनिक भास्कर की टीम पटना से 130 किलो मीटर दूर महाराजगंज पहुंची। महाराजगंज तक हम जिन सड़कों से होकर पहुंचे वह यहां का विकास बयां करने के लिए काफी थी। महाराजगंज नगर पंचायत से हम बिहार के पूर्व सीएम और स्वतंत्रता सेनानी महामाया प्रसाद के गांव पटेढ़ा पंचायत के पटेढ़ी गांव पहुंचे।
गांव में हमारी मुलाकात गणेश दत्त शाही से हुई। वह हमे पूर्व सीएम के महामाया प्रसाद के घर ले गए। खंडहर में तब्दील हो रहे घर को लेकर जब हमने सवाल किया तो यहां की इतिहास बताने लगे। गणेश दत्त ने कहा इसी घर में महामाया बाबू रहे हैं। इस घर में गांधी जी भी आए और यहीं से चंपारण के लिए रवाना हुए थे। गांधी जी के साथ यहां कई बड़े नेता आए और यहीं से पूरी रणनीति बनी थी।
जिसको हराया वह कभी जीतकर उभरा नहीं
गणेश दत्त कहते हैं, महामाया बाबू की एक खासियत बताई कि उन्होंने जिसे भी हराया वह कभी जीत नहीं पाया। आज हालात यह है कि घर तो दूर उनके गांव को भी कोई पूछने वाला नहीं है। यहां सांसद भी घूमने नही आते हैं। इस क्षेत्र में आने पर माननीयों को शर्म आती है, क्योंकि विकास तो कुछ किया नहीं तो किस मुंह से यहां आएंगे।
इस भवन से बहुत सारा कीमती सामान चोरी हो गई है। सीएम के घर के आस-पास भी कोई काम नहीं किया गया। लंबे समय से मांग चल रही है कि यहां पूर्व सीएम के नाम से एक रेलवे स्टेशन हॉल्ट बनाया जाए, लेकिन इस पर भी कोई काम नहीं हुआ है।
मंदिर मस्जिद की बात, विकास गायब है
गांव के ही मनोज पांडेय कहते हैं, हमे ऐसा सांसद नहीं चाहिए जो मंदिर मस्जिद की बात करके विकास के मुद्दे को गायब कर दे। दो-दो बार से गलती हुई, लेकिन अब वह गलती नहीं दोहराना चाहते हैं। अब ऐसा सांसद चाहिए जो सिर्फ क्षेत्र का विकास चाहता हो। मंदिर-मस्जिद और जात-पात में उलझाने वाला सांसद नहीं चाहिए।
यहां तो फ्री में अनाज देकर भिखारी बनाया जा रहा है। कोई विकास नहीं हुआ, ना ही विकास की चर्चा होती है। सिग्रीवाल के समय में कोई काम ही नहीं हुआ है, जबकि हम लोग मोदी के नाम पर दिल्ली भेजे कि वह हम लोगों की आवाज बन जाएंगे।
अब महाराजगंज को विकसित किया जाना चाहिए। जाति के नाम पर लोगों को भटकाया जा रहा है। अब तो मोदी का चेहरा नहीं बल्कि सांसद का चेहरा देखकर वोट किया जाएगा। बाहरी का आरोप महागठबंधन के कैंडिडेट पर लग रहा है, लेकिन वह जीत गए तो विकास का काम होगा।
हमारी बात तो संसद में पहुंची ही नहीं
उमेश कुमार शाही कहते हैं कि हम सांसद इसी लिए चुनते हैं कि हमारी बात संसद में पहुंचे, लेकिन इतनी समस्या के बाद भी हमारी आवाज वहां तक पहुंची ही नहीं। हम ताे यहां से ऐसा सांसद चुनकर भेजते हैं जो क्षेत्र का मुद्दा उठाकर विकास कराए, लेकिन दो-दो बार संसद में भेजने के बाद भी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने विकास का कोई काम नहीं किया।
उमेश कहते हैं, सांसद मद से विकास कार्य हुआ ही नहीं है। पंचायत स्तर पर भी कोई बड़ा काम नहीं दिखता है। सीजन में वोट मांगने आते हैं, इसके बाद तो दिखते भी नहीं हैं। बार-बार जनता गलती कर दे रही है। मोदी जी के नाम लोग वोट दे देते हैं। अपने नाम पर तो वह वार्ड का चुनाव भी नहीं जीत सकते हैं।
यहां जुगाड़ से ट्रेन में सवार होते हैं लोग
गांव के पूर्व मुखिया उमेश कहते हैं, हमारा सांसद ऐसा है कि हम इससे मिल भी नहीं सकते हैं। आरोप लगाया कि वह चमचो से घिरे रहते हैं। मुझे भी चमचो के माध्यम से ही मिलना पड़ता है। उमेश कहते हैं, यहां एक रेलवे का ढाला है, जहां से हर दिन 500 से अधिक लोग जुगाड़ से ट्रेन में सवार होकर आते-जाते हैं।
मांग है कि यहां महामाया बाबू के नाम पर हाल्ट स्टेशन बन जाए। इसके लिए सदन में आवाज उठाने की मांग की गई, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। विकास का झूठा दावा किया जाता है। जब मुखिया से ही सांसद नहीं सुनेगा तो विकास का काम क्या करेगा। किस आधार पर ऐसे सांसद को हम सपोर्ट करें। पूर्व सांसद से तो अब कोई उम्मीद नहीं है, इसलिए इस बार हम लोग नए सांसद को चुनने जा रहे हैं।
सांसद तो सिर्फ वोट से मतलब रखते हैं
पटेढ़ा गांव में हमारी मुलाकात प्रभात कुमार शाही से हुई, वह सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल और भाजपा दोनों से दुखी हैं। कहते हैं, सांसद सुलभ होना चाहिए। लेकिन यहां तो सिर्फ वोट से मतलब रखा जाता है। हम पूर्व सीएम के गांव के हैं, इस बात का हमको गर्व भी है, लेकिन यहां जितने भी सांसद आए कमाए और चलते बन गए।
आम पब्लिक की चीज ही आम लोगों को नहीं मिल रही है। यहां सड़क नहीं है, बिजली के पोल तो घटना का कारण बन रहे हैं। यहां से एक बस चलती है, उसी के सहारे पूरा क्षेत्र टिका है।
हम लोग मोदी का चेहरा देखकर वोट किए, लेकिन धोखा हो गया। एमपी तो मोदी जी का भी नाम बदनाम कर दिया है। आम आदमी मोदी के नाम पर सांसद को ट्रॉल किया, मोदी के नाम पर विकास होगा लेकिन ऐसा नही हुआ।
मोदी के नाम पर नहीं, बदलाव के लिए वोटिंग
पूर्व सीएम के गांव के ही हीरा राउत कहते हैं, इस बार मोदी के नाम पर वोट नहीं करेंगे। इस बार बदलाव के लिए वोटिंग होगी। समय के साथ बदलाव भी जरूरी है, नहीं तो इंसान अहंकारी होकर समाज से दूर हो जाता है। इसलिए अब यहां भी बदलाव होना चाहिए।
आम जनता जैसे बदल रही है, ऐसे हम भी बदल रहे हैं। यहां 9 लाख में घाट का 10 सीढ़ी बना दिए हैं, वही विकास हो गया है। इसके अलावा यहां कोई काम नहीं कराए हैं। मांग कई बार किया गया लेकिन कोई ध्यान नहीं देते हैं।
पूर्व सीएम का घर देखकर ही अंदाजा लगाइए, क्या काम कराए हैं सांसद। गांव में इस प्रमुख घर के आस-पस क्या विकास हुआ है। इनकी दान दी गई जमीन पर भी कोई काम नहीं कराया गया है। सब लोग मिल कर जनता से खेल कर रहे हैं।
कितनी बार मोदी के नाम पर छल होगा
गांव के अजय सिंह कहते हैं, मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं, लेकिन इस बार विरोध में हूं। मैं विकास का समर्थक हूं, लेकिन यहां विकास कोई मुद्दा ही नहीं है। हम 10 साल से लगातार मदद किए और जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को संसद में पहुंचाए लेकिन वह क्षेत्र को कुछ नहीं दिए। वह बस दो चार लोगों के चक्कर में रह गए। कोई काम नहीं किए, अब रेल रैक पाइंट की बात कर रहे हैं।
रैक पॉइंट सिग्रीवाल ने नहीं पास कराया है। जनता की आंख में धूल झोंका जा रहा है। शर्म के साथ कहना पड़ रहा है कि इस क्षेत्र में मोदी जी को आना पड़ा। डूब मरना चाहिए, हम लोग कंधा पर लादकर दो-दो बार संसद में पहुंचाया, लेकिन अब उनको यह नहीं समझ में आ रहा है कि यहां काम भी कुछ करना चाहिए। जनता कब तक मोदी के नाम पर वोट देती रहेगी, और सांसद उपेक्षा का शिकार बनाएगा।
अब थका हुआ सांसद नहीं चाहिए
महाराजगंज के व्यापारी अतुल कुमार सिंह कहते हैं, अब हमे थका हुआ सांसद नहीं चाहिए। हम विकास करने वाले युवा और एनर्जेटिक सांसद चाहते हैं। अब तो घिसे पिटे लोगों से मन उब गया है। दो बार वोट देकर देखा कोई काम का सांसद नहीं मिला। ऐसा सांसद चाहिए जिसका कोई विजन हो। अब तक हम गलती कर रहे थे, क्योंकि कोई विकल्प ही नहीं था।
सिर्फ मोदी के नाम पर वोट देते थे। वह हमारे वोट से जीतते रहे और हम ही उपेक्षा का शिकार बनाते रहे। वहीं विजय कुमार सिंह कहते हैं, यहां कोई विकास नहीं हुआ है। काम के नाम पर हमारा सांसद शून्य है। वह ऐसे संदिग्ध लोगों से घिरे रहते हैं, जाे उन्हें जनता के बीच आने ही नहीं देते हैं।
किसी भी क्षेत्र में कोई काम होता तो लगता सही सांसद चुना गया है। गांव के निशिकांत सिंह कहते हैं, हम हमेशा धोखा खाते हैं। यहां विकास के नाम पर कुछ भी नहीं है। हम लोग उम्मीद के साथ कैंडिडेट चुनते हैं और वह बदल जाते हैं।

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