भाजपा छोड़ने वाली हैं पंकजा मुंडे? बोलीं- अमित शाह से मिलकर करनी है बात, फिर होगा फैसला

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पंकजा मुंडे ने इस तरह की अटकलों पर भी विराम लगाने की कोशिश की कि वह दूसरे दलों के नेताओं के संपर्क में हैं। उन्होंने, ‘मैं जो कुछ भी करूंगी, खुलकर करूंगी। मैं अपने नेताओं के सामने शिकायतें रखूंगी।’

भाजपा छोड़ने वाली हैं पंकजा मुंडे? बोलीं- अमित शाह से मिलकर करनी है बात, फिर होगा फैसला

भाजपा की सीनियर नेता पंकजा मुंडे के राजनीतिक करियर को लेकर कई तरह की अटकलें लग रही हैं। इस बीच, शनिवार को उन्होंने कहा कि वह अपने भविष्य के बारे में कोई फैसला लेने से पहले पार्टी नेतृत्व के सामने अपनी शिकायतें रखेंगी। मुंडे ने अपने पिता और पूर्व उपमुख्यमंत्री दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की पुण्यतिथि के मौके पर बीड जिले में एक समारोह के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘मेरे बारे में जो भ्रम पैदा किया जा रहा है, उसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं। मैं अमित शाह को अपना नेता मानती हूं और मेरे मन में जो कुछ भी है, उस पर उनसे खुलकर बात करूंगी।’

पंकजा मुंडे ने इस तरह की अटकलों पर भी विराम लगाने की कोशिश की कि वह दूसरे दलों के नेताओं के संपर्क में हैं। उन्होंने, ‘मैं जो कुछ भी करूंगी, खुलकर करूंगी। मैं अपने नेताओं के सामने शिकायतें रखूंगी। उनसे मेरा यह सवाल होगा कि उनके मन में मेरे लिए क्या है। मेरे लोगों को यह जानना चाहिए। इसके बाद अगर मैं कोई स्टैंड लेती हूं, तो इसकी जानकारी सार्वजनिक मंच से दी जाएगी।’ इस बीच पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी विधायक दल के नेता बालासाहब थोराट ने कहा, ‘पंकजा ताई के लिए कांग्रेस के द्वार खुले हैं। अन्य भी उनका स्वागत करने के लिए तैयार हैं।’

चुनाव हारने के बाद बदले हालात
3 जून 2014 को दिल्ली में एक कार दुर्घटना में गोपीनाथ मुंडे की मौत हो गई थी। पंकजा उनकी बड़ी बेटी और राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं। पिछले काफी समय से उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ उनका राजनीतिक संघर्ष चल रहा है। पंकजा 2019 में बीड जिले के परली निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव हार गई थीं। इसे लेकर उन्होंने अपने विरोधियों को दोषी ठहराया था। वह विधान परिषद के लिए नामांकन की उम्मीद कर रही थीं लेकिन पार्टी ने उनकी इच्छा पूरी नहीं की।

पंकजा बोलीं- किसी से नहीं मांगूंगी भीख
पंकजा अपनी बहन व बीड से सांसद प्रीतम मुंडे के लिए भी मंत्री पद की उम्मीद कर रही थीं। मगर, केंद्रीय मंत्रिमंडल के पिछले विस्तार के दौरान भी बात नहीं बनी। उन्हीं के जिले के ओबीसी नेता भागवत कराड को केंद्रीय मंत्री बना दिया गया। एक साल पहले बीजेपी ने एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर सरकार बनाई। इस दौरान भी उन्हें मंत्री पद से दूर रखा गया। उन्होंने कहा, ‘चुनाव तो कई लोग हारे थे लेकिन उन्हें मौका दिया गया। दो दर्जन लोगों को विधायक और सांसद बनाया गया मगर मुझे नहीं। मैं किसी से भीख नहीं मांगूंगी।’

पंकजा की नाराजगी के मिले संकेत
जब देवेंद्र फडणवीस 2014-2019 के दौरान मुख्यमंत्री थे तब उस भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार में पंकजा ग्राम विकास, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री थीं। हालांकि, 2019 में वह अपने चचेरे भाई और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता धनंजय मुंडे के हाथों विधानसभा चुनाव हार गईं। इसके बाद वह बहुत कम ही पार्टी के कार्यक्रमों में मंच पर नजर आईं। उनकी कुछ टिप्पणियों से लगता है कि वह अपनी पार्टी से नाराज हैं। पंकजा ने कहा, ‘दूसरे दलों में भी मेरे कई शुभेच्छु हैं। लेकिन, मैं जब-तब रोती-चिल्लाती नहीं हूं। जब मेरे पिता का निधन हुआ, तब भी मैंने आंसू नहीं बहाए।’

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